तेरे शहर में आकार में क्या करू...?
तेरे शहर की गलियां, रास्ते सब अनजान है मेरे लिए,
और तुम!
तेरे होने से ये शहर की गलियां और रास्ते परिचित नहीं बन जायेंगे... और तुम जिस रास्ते से मुझे ले जाओगे, उस रास्ते को मैं देखू या तुम्हें...
और तुम जिस बागीचे में मुझे ले जाओगे, उस बागीचे की अनुभूति करू या तुम्हारी...
तुम इतनी प्रतीक्षा ना करो मेरी, और ना करो कोई जिद्द...
मैं बहुत दूर हू, मुझे तुम सपने मत दिखाओ क्युकी, मैं जहां रहती हू वो परिचित दुनिया में भी मेरे कोई सपने मेरे नहीं है...
-Nirali Patel