हर पल एक नयी कहानी ....
गाँव की मिट्टी से निकला,
सपनों का नया जहाँ बसाया।
खेतों की खुशबू को छोड़कर,
शहर की रौशनी में पाया॥
बचपन की हँसी-ठिठोली,
वो नदियाँ, वो तालाब छूटे।
शहर की भीड़-भाड़ में,
सपनों के दीप जलाए॥
माँ के हाथ की रोटियाँ,
बाबूजी का साया याद आता।
शहर की इस चमक-धमक में,
गाँव का सुकून कहीं खो जाता॥
हर रोज़ नई उम्मीदें,
हर मोड़ पे नई चुनौतियाँ।
मन में ख्वाब लिए चलते,
हर रात नई कहानियाँ॥
शहर की गलियों में भटकते,
अपने आप को तलाशते।
कामयाबी की राहों में,
खुद को हर पल तराशते॥
मिट्टी की सोंधी खुशबू,
अब भी दिल को लुभाती है मुझे।
शहर की इस दौड़-धूप में,
वो यादें रह-रहकर सताती है मुझे॥
ख्वाबों के इस शहर में,
हर कोई कुछ पाने आया।
मेहनत और लगन से हमने,
अपना जहाँ यहाँ बसाया॥
सपनों की इस नगरी में,
हर ख्वाब को पूरा करना।
गाँव की यादों को साथ लेकर,
नई ऊँचाइयों को छूना॥
ख्वाबों का ये शहर प्यारा,
मेहनत का फल मीठा।
हर दिन नई मंजिल,
हर रात सपना रीता॥
शहर की इस चकाचौंध में,
अपनी राह खुद बनानी।
ख्वाबों के इस शहर में,
हर पल एक नयी कहानी॥
हर पल एक नयी कहानी॥
धन्यवाद 🙏🏻