वो हमसे बड़ी अदब से पूछते हैं।
हम क्या हैं जनाब आपके लिए ?
हमने बड़ी ही नजाकत से जवाब दिया।
कैसे कहे क्या है ? आप हमारे लिए।
निगाहों के रास्ते से लेजाकर आपको,,
दिल के झरोखे में यूं संभाल कर बिठाया है।
बस यूं समजिए आप हमारी किताब में,,
बरसों से संभाल कर रखा हुआ वो गुलाब हो।
जीस गुलाब में सुगंध भले ही ना बची हो।
लेकिन मोहब्बत वैसे की वैसी आज तक है।
भले ही उस गुलाब की पंखुड़ियां सूख चुकी हो।
मगर वो लगाव का एहसास आज भी ताझा है।
आज भी ये दिल आपको सोच कर झूम उठता है।
बस हम झमाने के सामने ये बात जाया नहीं करते है।
न जाने उन्हीं से यूं इतनी मोहब्बत क्युं हो जाती है।
जो झहन में तो हमेशा रहते हैं बस तकदीर में नहीं होते है।
अमी....
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