माॅं -बेटी का रिश्ता,,,,
माॅं बेटी को लोरियाॅं सुनाती है ।
खुद जगती है बेटी को सुलाती हैं।
माॅं बेटी का रिश्ता ओर अजोड़ है।।
माॅं बेटी को पलकों पर रखतीं हैं।
बिना कहे ही बेटी की बात समझती है।
माॅं बेटी का रिश्ता अनुपम है।।
बेटी की एक मुस्कान के लिए माॅं ।
अपनी सारी खुशियाॅं कुरबान करती है।
माॅं के लिए बेटी राज दुलारी होती है।।
अपनी अमरबेल को माॅं स्नेह से सिंचती है,
बहुत लाड़ प्यार से पालती है।
वो बेटी को अपनी नजरों के नीचे रखना चाहती है।।
जब विदा होती है बेटी ससुराल को,
मानों अपना कलेजा वो किसी को दे देती है।
उतनी उसे व्यथा होती है।।
माॅं बेटी की सच्ची सहेली होती है,
हर सुख दुःख की बात माॅं बेटी को बताती है।
बेटी अपना सुख दुःख माॅं के साथ बाॅंटती है।।
©®✍️... drdhbhatt...