वस्त्र विकारों का अस्तित्व प्रकट करते हैं जिसे मर्यादा की संज्ञा देकर महिमा मण्डन किया गया है। हमने वस्त्रों से तो स्त्री -पुरूष को ढका किन्तु आत्मा के पर्दे से दृष्टिकोण पर मर्यादा स्थापित नहीं कर पाये । श्रीराम को जाना , जाना जानकी को मगर उस तिनके की व्याख्या न हो पाई जिसने सिया के सम्पूर्ण अस्तित्व को ढक लिया था ।