लिहाज़
लिहाज़ इतना तो बाकी रखा कर सनम,
अभी तेरी जिंदगी में मौजूद हूं मैं,
किसी और से बात करना कोई गुनाह तो नही,
पर किसी और का तेरे करीब आना जान लेता है मेरी ,
अभी तेरी जिंदगी में मौजूद हूं मैं ,
लिहाज़ इतना तो बाकी रखा कर सनम,
बाकी सब बातें छोड़ रहने दे अभी,
बस एक सवाल मेरे जहन में है अभी,
मुस्कुरा के तू क्यों देखता है तू गैर को,
अभी तेरी जिंदगी में मौजूद हूं मैं,
लिहाज़ इतना तो बाकी रखा कर सनम,
मिले जो फुरसत मेरे पास आ तू,
बैठ पहलू में कुछ गुफ्तगू कर ले,
ना बदल ऐसे किसी और के करीब जा के,
अभी तेरी जिंदगी में मौजूद हूं मैं,
लिहाज़ इतना तो बाकी रखा कर सनम,
अन्जू