वह हमें वैसे ही स्वीकार करता है जैसे हमें भेजता है। उसी अवस्था में भोगता है वह ! उसे चाहिए सहजता ,सरलता , बालक बुद्धि मन स्वभाव। साधना , तपस्या, नियम , त्याग इनमें से एक में भी सटीकता नहीं बल्कि इसी अवस्था की परिणति हैं ।
#विचारशाला
#चिंतन_मंथन
-Ruchi Dixit