ईश्वर ने उपकार किया है...
ईश्वर ने उपकार किया है ।
धरती का शृंगार किया है।।
संघर्षों से जीना सीखा,
मानव का उद्धार किया है।।
निज स्वारथ में डूबे रहते,
उनने बंटाढार किया है।
संस्कार को जिसने रोपा,
सुख का ही भंडार किया है।
लालच बुरी बला है यारो,
कुरसी पा अपकार किया है।
जब-जब नेता भरें तिजोरी,
जन-मन अत्याचार किया है।
सुख-दुख जीवन में हैं आते,
यही सत्य स्वीकार किया है ।
सुख की बदली जब भी बरसी,
जनता ने आभार किया है।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "