क्या डर नहीं लगता अब तुम्हें! मेरे खोने का?? बताओ ?? अगर मैं खो गई तो खोकर कहाँ जाऊँगी ??
वो खाने से डरता है मेरे ! मैं ऐसा क्या खा जाऊँगी??
बात जो उसकी तो उसे ऐसा क्या खिलाऊँगी ??
मैं हूँ वहीं तो हजारों कमियों के बीच उसे कैसे रख पाऊँगी । है प्रश्न एक ही अन्तर क्या जीवित नहीं रही अब ?? (अंश)
-Ruchi Dixit