विश्व मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🙏
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मजदूरी का सम्मान
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चिलचिलाती धूप में वो बनाता है मकान आलीशान
जिसका खुद के रहने के लिए भी नहीं होता मकान
पर उसके चेहरे पर रहता नहीं है कोई भी मलाल
रह जाएगा उसके ही काम का इस धरा पर निशान ।
स्त्री ,पुरुष और बच्चे ढो रहें हैं ईंट-गारा
चल रहा है उनका इस काम से ही घर सारा
धन की खातिर सह रहे हैं काम का बोझ
कोई शिकवा शिकायत नहीं, न कहीं है इशारा।
वैसे तो सभी विश्व में मजदूरी ही कर रहे हैं
अपने-अपने परिवारों का पेट भर रहे हैं
सभी करें एक-दूसरे के कामों का सम्मान
कहें, हम एक - दूजे को प्यार से धर रहे हैं।
हाइकु -मजदूर पर
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1) मजदूर हूँ
मकान बनाता हूँ
मैं बेघर ही ।
2)धूप सिर पे
नया रास्ता बनाता
पसीना बहा ।
3) संघर्ष बिना
कहानी अधूरी है
मजबूरी भी।
4) ताजमहल
निशानी प्यार की है
जुड़ी मुझ से ।
5) चलना काम
श्रमिक के हिस्से ही
कहाँ आराम?
6) वो कामगार
सिर पर आकाश
बेपरवाह।
7) जीवन नैया
भगवान भरोसे
मजदूर की ।
10) बोझा ढोता हूँ
गगन चूमे मकां
मेरा न नाम।
9) एक पहल
मजदूर दिवस
मनाते सभी।
10)दुनिया सारी
कर रही मान है
मजदूरों का ।
आभा दवे
मुंबई