मैं और मेरे अह्सास

भँवर
भँवर में फँसी कश्ती का माँझी ना बन l
अनजान लम्बी सफर का आदी ना बन ॥

मुकम्मल मंजिल तक पहुंचाने के लिए l
हो सके तो हमराह बन राही ना बन ॥

कुछ तो खुद के लिए बचाके रख l
सब कुछ लुटाकर खाली ना बन ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111928877
Jayesh Gandhi 2 week ago

હમસફર બન ને કે લિયે રાહી તો બનના પડતા હૈ અજનબી કારવા કે લોગ ઉનસે બિછડના પડતા હૈ

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