Hindi Quote in Poem by Manohar Gore

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।। नींव के पत्थर।।

नींव के घोर उपेक्षित
पत्थरों पर स्थिर
मंदिर, मस्ज़िद, गिरजा और
गुरुद्वारे के
समुन्नत शिखर के,
हे! स्वर्ण कलश
अपनी स्वर्णिम आभा की कांति में
क्या इन पत्थरों की
अंतर्तम अनुगूंज,
तुम्हें सुनाई देती है ?
क्यों होते हो गर्वित
अपने रूप पर
तुम्हारा अस्तित्व तो
मात्र तुम्हारी कल्पना है
बुनियाद का हर उपेक्षित पत्थर
देता है तुम्हें आधार
बताओ फिर ?
आखिर तुम
इठलाते हो
किसके बल पर?

डॉ.मनोहर गोरे

Hindi Poem by Manohar Gore : 111928636
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