विश्व पृथ्वी दिवस पर
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धरा
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माँ सा स्नेह देती है हरदम धरा
गोद में प्रेम से सुला लेती है वसुंधरा
धैर्य अपने में समाए सबको गले लगाती
अपने सौंदर्य से रिझाती है यह उर्वरा ।
हरियाली संग झूमती ,नदियों संग कल - कल करती
पहाड़ों सी रहती अटल सागर को आँचल में भरती
सदियों से हर युग का देख रही है तमाशा
सब कुछ अपने में समा लेती है यह अद्भुत धरती।
धरती सदा खुशहाल रहे हरियाली से भरी रहे
जनजीवन हो सुखी यही सभी दुआ करे
सौंदर्य इसका निखरता रहे गंदगी दूर रहे
धरा क्रूरता का तांडव कभी न सहे ।
आभा दवे
मुंबई