मैं और मेरे अह्सास

धूप छांव है ज़िंन्दगी ये बात मान लो l
दुनिया है फानी बस इतना जान लो ll

कभी सुख कभी दुःख यहीं है गति l
जो भी हो जीना है मन में ठान लो ll

सुबह से शाम तक जिम्मेदारीयां l
हर बार चैन और सुकून दान लो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111928167

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