साफ स्पष्ट मैं बोलती हूं,
नहीं रखती हूं दिल में बैर।
साहित्य की इस दुनियां में,
कोई नहीं किसी के लिए गैर।।

मिश्री

-किरन झा मिश्री

Hindi Shayri by किरन झा मिश्री : 111927705

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