विषय - आजकल के मित्र
कौन अपना है ,कौन पराया,
मुश्किल वक्त में पता चलता।
हीरे और कांच का फर्क भी,
दुख तकलीफ में है दिखता।।
कहने को हजारों दोस्त बनते,
पर समय पर कोई काम नहीं आता।
हाय हैलो के इस जमाने में,
दुर्लभ ही हो,जो मित्रता निभाता।।
बड़ी बड़ी बातें करने वालों का,
हुजूम हमेशा ही लगा रहता।
ये कर देंगे , वो कर देंगे हम,
सबके मुंह में,बस यही रहता।।
सुनो सबकी करो अपने मन की,
जीवन का यही मूल मंत्र समझो।
बातों में किसी की न उलझकर,
संयम, धैर्य से पहले उसे परखो।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री