“इस ज़माने में इस मोहब्बत ने
कितने दिल तोड़े, कितने घर फूँके
जाने क्यूँ लोग मोहब्बत किया करते हैं
जाने क्यूँ लोग मोहब्बत किया करते हैं
दिल के बदले दर्द-ए-दिल लिया करते हैं
जाने क्यूँ लोग मोहब्बत किया करते हैं
तन्हाई मिलती है, महफ़िल नहीं मिलती
राह-ए-मोहब्बत में कभी मंज़िल नहीं मिलती
दिल टूट जाता है, नाकाम होता है
उल्फ़त में लोगों का यही अंजाम होता है”
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