विषय - रूठना
दिल के करीब का कोई अपना,
जब रूठकर बैठ जाता है।
कैसे मनाएंगे अब उसको,
यही सोचकर दिल बैठ जाता है।।
हंसी मजाक तो चलता रहता है,
पर किस बात वह रूठ गया।
एक बार वह उस बात को बता दे,
जिस बात से उसका दिल टूट गया।।
कॉल और संदेशों का सिलसिला,
हमनें निरंतर उससे जोड़ा है।
देखकर वह अनदेखा कर रहा,
जैसे हमने उसका दिल तोड़ा है।।
आ जाए एक बार सामने वो,
प्यार से उसे हम मना लेंगे।
रूठे हुए अपने सनम को,
प्रेम से गले हम लगा लेंगे।।
उसके रूठने से बैचेन है दिल,
हाले दिल उसे अब सुना देंगे।
दोस्ती नहीं प्रेम था तुमसे,
दिल की यह बात अब बता देंगे।।
प्रेम किया है तो निभाएंगे भी,
रूठे हुए को अब मनाएंगे भी।
रूठना मनाना प्रेम के दो पहलू,
दोनों पहलूओं में सामंजस्य बैठाएंगे भी।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री