तुम बिन दिल मेरा लगता नही में क्या करू
रोशन घर भी मेरा रोशन लगता नही में क्या करू
दर्द जुदाई का कम होता नही में क्या करू तेरा दिया गया जख्म भरता नही मैं क्या करू
तेरी मोहब्बत मैं जलता है जिया मैं क्या करू, जलते दिल से उठता नही धुंआ में क्या करू
बहता है इश्क का दरिया में क्या करू
प्यासा हूं इश्क का प्यास बुझती नही में क्या करू
किसे सुनाऊं में हाल दिल का अपने
सदा मेरी कोई सुनता नही मैं क्या करू
राते गुजारू में तारों को गिन गिन कर
और ये तन्हाई की रात गुजरती नही
में क्या करू
-गुमनाम शायर