मोहब्बत के सितम भी हमने देखे है
आंखो से अश्क की धारा भी बहते है
वो मजबूरी के धागों में उलझे रहते है
और हम दर्द जुदाई का सहते रहते है
शिकवा नहीं करते किसी से हम अब
हाल ए दिल किसी से नही कहते है
वो शख्स रहता है हमारे ही दिल मैं
और हम है के उनके दिल में रहते है
तड़पाने लगती है जब यादें उनकी
हम हर शहर गली आवारा फिरते है
उन्हें है मोहब्बत हमसे बेइंतेहा...
हम भी उनसे मोहब्बत करते है
-गुमनाम शायर