व्यापार और उत्पादन के ट्रेड के क्या कुछ नहीं बदला है, 97प्रतिशत जनता इस पर निर्भर है जिन्दगी काफी मजबुरी और प्रतिदिन की हालात में भारी नुकसानात है जिसमें श्रम की आपूर्ति बाधित है,वित्तीय संशाधनों में पर्याप्त कमी, सरकारी तन्त्र की हत्सोहान एंव मजबूत तन्त्र भ्रष्टाचार,अनहद रोड़े अटकाने हरस्तर पर नाकामियों के पर्याप्त प्रचलन में है । चुंकि सभी बंटे है, सभी लुटे है
जीएसटी इनकमटेक्स ला एजेन्सीज की कार्यशैली नकारा नाकामियों और भ्रष्ट्राचार के सबूत में कदमताल है सब चोर सब ईमानदार की पॉलिसी अख्तियार है
सच कहॉ है अदलिया कर क्या रहा है, चोर के चोरी की, लूटेरो के लूट की, बेईमान के बेईमानी की, परेशान में परेशान की खूब हिफाजत है ।
चहुऔर हिकारत सजे सजे राग दरबार
महफिल कुर्सी टेबला, दारू सारू लाचार
में लिखु मै मिटाउ, रेख लेख दू तू देख
सत्यवान कोचवान अदला बदली मेख
नेतानगरी ज्ञानवान आका बने सब लोग
दुखियारी धन वान हान, समेजोग संजोग
बिल्ला न्याव तराजू लिये सबोन को हरकाय
चन्दरचूर न्यावी लिये चौथीपीढी ले मचकाय
बेकारी नेता भरी बेकरारी कुर्सी हिरोगन्धी होय
गली मुहल्ला क्लासा सजी देख रे मनुया रोय