“चले पवन की चाल
जग में चले पवन की चाल
चले पवन की चाल
जग में चले पवन की चाल
यहीं-यही चलन है जग सेवा का
यही जीवन सुखपाल
जग में चले पवन की चाल
चले पवन की चाल
जग में चले पवन की चाल
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इस नगरी की डगर डगर में है
लाखों हैं जंजाल
इस नगरी की डगर डगर में है
लाखों हैं जंजाल
शक्ति नरमि सर्दी गर्मी
एक सांचे में ढाल
जग में चले पवन की चाल
चले पवन की चाल
जग में चले पवन की चाल
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दुःख का नाश हो सुख का पालन
दोनों बोझ संभाल
चबाते काँटे पिस पिस जावे
फूल ना हो पैमाल (पायमाल)
फूल ना हो पैमाल (पायमाल)
कट न सके ये लंबा रास्ता
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कट न सके ये लंबा रास्ता
कटे हज़ारों साल
जहां पाहुंचे पर दम टूटे
है वही काला काल
जग में चले पवन की चाल
चले पवन की चाल
जग में पवन की चाल.”
सौजन्य:
फिल्म: “डोक्टर १९४०
🙏🏻