आओ बच्चों तुम्हें सुनाएं,
बंदर मामा की कहानी।
उछल कूद करते पेड़ों पर,
नहीं करते ये कम शैतानी।।
देखकर शीशे में अपना चेहरा,
तरह तरह के मुंह बनाते।
खों खोँ की आवाज से,
दूसरा बंदर समझ उसे भगाते।।
मदारी के साथ रहकर बंदर,
अनेकों प्रकार के खेल दिखाते।
बंदरियां भी जब साथ में हो तो,
ठुमक ठुमककर सबको रिझाते।।
बंदर भी डमरू की ताल पर,
मंत्रमुग्ध होकर भागता।
रामधुन अगर साथ में हो तो,
दुगुनी खुशी से वह नाचता।।
देखकर बंदर का तमाशा,
कुछ लोग चने,केला खिलाते।
मदारी की जीविका के लिए,
कुछ लोग पैसे भी दे जाते।।
-किरन झा मिश्री