चले पवन की चाल, जग में चले पवन की चाल
यही चाल है जग सेवा का यही जीवन सुखपाल
हो चले पवन की चाल ...
इस नगरी की डगर-डगर में
लाखों हैं जंजाल
सख़्ती नरमी सर्दी गर्मी
एक साँचे में ढाल
हो चले पवन की चाल, जग में ...
दुःख का नाश हो सुख का पालन
दोनों बोझ सम्भाल
चुभते काँटे पिस पिस जाए
फूल न हो पामाल
चले पवन की चाल, जग में ...
शायरी
कट न सके यह लम्बा रस्ता
कटे हज़ारों साल
जहाँ पहुँचने पर दम टूटे
है, वही काल अकाल
चले पवन की चाल, जग में ...
🙏🏻