जुबा बंध थी,फिर भी
दिल तक दिल की बात, वो शमा पहुंचा रहा रहा था,
कुछ इस तरह रूह से , रूह में तू समा रहा था।
एक ठंड लहर ,तेरा एहसास बनकर मुझ को तुझ से रूबरू कर रहा था,
कुछ इस तरह, तू रूह तलक मुझ में ही कही खो रहा था।
बस !उस एक पल में
हमको ही, हमसे तू चुरा रहा था।
-Anurag Basu