किसी ने पूछा, भरी महफिल में
तेरे पागलपन की हद क्या है.
जुबान चुप थी
और नैन तेरी और एकटक
ताक रहे थे.....
शायद किसी को न सुनाई देने वाली , एक दिल की आवाज
चुपके से तुझे कुछ कह रही थी।
एक अनजान सी डोर,मुझे तेरी और खींच रही थी।
तेरी रूह से मेरी रूह कुछ इस तरह ही जुड़ रही थी। सदा के लिए मुझे बिन बताए ही,
ये सांसे तेरे नाम ही हो रही थी।
-Anurag Basu