खुद की सीमाओं से मुक्त होकर,
मैं बस उड़ना चाहती हूं,
मैं इस खुले नीले आसमान के नीचे
बेफिक्री से जीना चाहती हूं।
मैं नहीं चाहती की मैं खुद पर कोई बंदिशे लगाऊं
और अपने मन को समझाऊं।
मैं नहीं चाहती की मैं अपनी मनमानी करने से
भी अब खुद पीछे हट जाऊं।
मैं बस अब पूरी दुनिया
एक आजाद पंछी की तरह घूमना चहती हूं।
हां, मैं खुद की सीमा तोड़ कर
अब बस उड़ना चाहती हूं।।