तेरी नजर के बिना मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है..!!
तुझको कितना भी देखूं तेरा दीदार अधूरा लगता है..!!
तेरे प्यार की तलब ऐसी है की मन भरता ही नहीं..
तुझे बिना सोचे मन..मेरा अब कहीं रमता ही नहीं..
तू कितना भी प्यार करे...वो प्यार अधूरा लगता है..
मेहबूब की नजर के बिना मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है...!!
मेरे छोटे से दिल में...समंदर से जज्बात भरे हैं..
दिल की गहराई में सीप में मोती बेहिसाब भरे हैं..
कितना भी बया करूं तुझे इजहार अधूरा लगता है..
महबूब की नजर के बिना मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है..!!
लबों पर खामोशी रहती..निगाहें शोर मचाती है...
मुझे कैसे बताऊं तेरी...मोहब्बत कितना सताती है...
दिल की बात जुबां पर ना आए इकरार अधूरा लगता है.
महबूब की नजर के बिना मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है..!!
तू ही दिल की बेचैनी तू ही दिल का मेरा सुकून है..
जिंदगी में तुझको पाना ही मेरा फितूर और जुनून है..
तु आजा की तेरे बिना..मेरा घरसंसार अधूरा लगता है..
महबूब की नजर के बिना मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है..!!
महबूब की नजर के बिना मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है..!!
तुझको कितना भी देखूं.. तेरा दीदार अधूरा लगता है..!!