चलना छोड़ दोगे तो समझो जीवन रुक जायेगा,
जैसे ज़िंदगी का खुशियों से फांसला बढ़ जायेगा।
धीरे चल, अकेला चल, थमकर चल, रुककर चल,
न चला तो समझो, रास्ता तुझे पीछे छोड़ जायेगा।
कितनी रूकावटें आयेंगी करवटें बदल बदलकर,
रुकावटों से जो न हारा, वोही आगे बढ़ पाएगा।
रखना कभी न आश अपनो से या परायों से,
है हिम्मत ख़ुद पर तो मौत से भी भीड़ जायेगा।
चलना ऐसे, जैसे चले श्री राम, अडिग मन से,
हो रास्ता कठिन, तभी आदिपुरूष कहलाएगा।
~वनिता मणुंन्द्रा (वाणी)
-વાણી