जय खाटूश्यामजी।
जय जय हे खाटूश्यामजी तेरी होवे जय-जयकार।
तेरी महिमा है बड़ी अपरंपार हे खाटूश्यामजी।
करें वन्दना तेरे चरणों में कोटि-कोटि बार।
तेरी पूजा अर्चना करने आए हैं हे खाटूश्याम।
तेरे चरणों में है तीर्थ धाम जय जय खाटूश्याम।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि पर
मनाते हैं तेरा शुभ जन्म दिन।
बड़ा ही होता है पावन हे खाटूश्याम
तेरा जन्म दिन।
भगवान श्री कृष्ण जी के प्रिय तुम हो
घटोत्कच के पुत्र तुम बड़े शक्ति शाली हो।
तुम्हारी शक्ति वाण के एक ही प्रहार से खत्म
हो सकता था महाभारत युद्ध ।
तब भगवान श्रीकृष्ण जी ने ब्राह्मण रूप धर कर
मांग लिया वचन शीश का बलिदान।
खाटूश्याम जी ने ब्राह्मण का अद्भुत रुप देखकर
अपने स्वरुप में आने को कहा और तब हुए
दर्शन श्री कृष्णा जी के खाटूश्यामजी को।
श्रीं कृष्ण जी के चरणों में किया शीश बलिदान।
भगवान श्री कृष्ण जी का पाया अद्भुत वरदान
खाटूश्याम जी ने।
हुए कलियुग में पूजे जाने वाले श्याम
जय जय हे खाटूश्यामजी।
जय जय हे खाटूश्यामजी कोटि-कोटि प्रणाम।
कोटि-कोटि प्रणाम।
खाटूश्याम जी के शुभ जन्म दिन पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां सबको।
भूल चूक माफ करो हे खाटूश्यामजी।
-Anita Sinha