बाल कविता
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दीवाली पास आ रही...
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दीवाली पास आ रही चल रही सफाई
मम्मी -पापा संग जुटे हुए मैं और भाई
गुमी हुई चीजें सफाई में कितनी मिलती हैं
गुमी चीजों को दोबारा पाकर खुशी छाई।
हम सब को भाता है दीवाली का त्योहार
दीप-रोशनी से सजता है सबके घर का द्वार
मिष्ठान्नों की दीवाली में तो होती है बरसात
मीठा -नमकीन खाते- खाते हम जाते हैं हार।
लक्ष्मी पूजा का महत्व मम्मी -पापा समझाते
सदियों से चली आ रही परंपरा हमें बतलाते
मिलजुल कर त्योहार मनाने का देते संदेश
ज्ञान का दीपक हमारे अंदर नया एक जलाते।
आभा दवे©
मुंबई