ज़िन्दगी क्या है सोचते रहे ज़िन्दगी भर
सवालों में यूँ उलझे रहे ज़िन्दगी भर
खुशियों संग रहता एहसास ए गम भी
पाया - खोया गिनते रहे ज़िन्दगी भर
किस्मतों के कर दिया खुद को हवाले
तजुर्बे बस लिखते रहे ज़िन्दगी भर
साया होकर चल रहा हमसफ़र जब से
हम साथ उसके हो लिए ज़िन्दगी भर
धूप छाँव का एक खेल सा चल रहा है
और चलना है बस यूँ ही ज़िन्दगी भर
_✍️anupama