बस इतनी सी है हमारी
और उसकी कहानी,
वो आग सा हमें जलाते हैं
हम राख से सुलगते रहते हैं ।
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कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा,
ऑंखें को देखा पर दिल में उतर कर नहीं देखा,
पत्थर समझते हैं मेरे चाहने वाले मुझे,
हम तो मोम है किसी ने छूकर नहीं देखा|।
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