शेर
चाँद से तुझ को जो दे निस्बत सो बे-इंसाफ़ है
चाँद के मुँह पर हैं छाईं तेरा मुखड़ा साफ़ है
मुद्दतें से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हु ये किस का मुझे इंतज़ार है
इतना मैंने इंतज़ार किया उस की राह में
जो रफ़्ता रफ़्ता दिन मिरा बीमार हो गया
शेख़ जहरुद्दीन हातिम
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