रिश्तों का धागा
दिल से दिल तक का रिश्ता,
दिलवाले दिल से निभाते हैं।
अपने प्रेम के बंधन में बांधकर,
विश्वास की डोर से बंध जाते हैं।।
प्रेम और विश्वास का रिश्ता,
एक कच्चे धागे से बंधा होता है।
पकड़ दोनों की हो मजबूत,
तभी कई रंगों को संजोता है।।
एक मजबूत रिश्तें की नींव में,
अहम को दबाना पड़ता है।
अपनत्व का भाव रखकर,
संग साथ निभाना पड़ता है।।
रिश्तों के हर मोती को,
विश्वास का धागा एक करे।
बिखरें न माला के मोती,
प्रेम,भरोसे,स्नेह से भरें।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री