मुझे पत्ता है की मेरी लिखी कहानी नहीं पढ़ोगी!
ये भी पत्ता है की तुम मुझे नापसंद करती रहोगी !
इतनी ख्वाइश रह गई मुझे धरती जीने नहीं देती !
क्यूँ तड़पाते हो मुझे मिलने या मरने भी नहीं देती!
- वात्सल्य

Hindi Sorry by वात्सल्य : 111897609
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now