वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शह ग़ुलाम
वक़्त का हर शह पे राज
वक़्त की पाबन्द हैं
आते जाते रौनके
वक़्त है फूलों की सेज
वक़्त है काँटों का ताज
वक़्त से दिन और रात ...
आदमी को चाहिये
वक़्त से डर कर रहे
कौन जाने किस घड़ी
वक़्त का बदले मिजाज़
वक़्त से दिन और रात ...
🥵🙏