#Manipur_Violence
याद रखना, नग्न स्त्रियां खूंखार हो जाती हैं...
.....एक दिन सभी स्त्रियां नग्न हो जाएंगी....
2018 में एक कविता पढ़ी थी, कवयित्री आरती यादव की, शीर्षक था “एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी!” बार बार पढ़ने पर आंखें धुंधला गई लेकिन वह कविता कहीं अटक गई थी मन में आज फिर उथ आई है मणिपुर के घटनाक्रम से..
तुम जानते हो स्त्रियों को अपनी देह से प्रेम होता है उनकी जान उनकी देह में ही होती है इसीलिए वे इसे सजाती सँवारती और सलीके से ज़ाहिर करती हैं।
वे कभी भी पूर्णतः नग्न नहीं होतीं तुम फिर भी उसकी मर्जी के बिना बार-बार उसकी देह कब्जाते हो
उसपर महाभारत रच जाते हो पर क्या कभी तुमने सोचा है अगर उनका देह प्रेम खत्म हो जाए...
स्त्रियां भी जब नग्न हो जाती हैं तो बेतरीक़े ही गिरती हैं क्योंकि नग्न स्त्रियां
पशु से भी अधिक खूँखार हो जाती हैं।
अगर यह सिलसिला न रुका तो देखना..
एक दिन सभी स्त्रियां नग्न हो जाएंगी.......
यह कविता नहीं वही आर्तनाद है, हाहाकार है, मन का कोलाहल है जो उस वक्त उन मणिपुरी महिलाओं के अस्तित्व से गुंजा होगा.... उनकी मौन, चीख, चीत्कार न सुन सके हम लेकिन फिर कुछ घिनौने चरित्र सामने आ गए हैं... इस देश में ना यह पहली घटना है ना देशवासियों का रोष पहली बार उपजा है ना ही शीर्षस्थ नेताओं के बयान पहली बार आ रहे हैं...असभ्यता और बर्बरता के कई प्रतिमान (?) हम पहले भी गढ़ चुके हैं... पहले भी नंगी मानसिकता के पुरुषों ने स्त्री अस्मिता को इस तरह छला और रौंदा है सवाल अब कुछ नहीं हैं जवाब अब उबल रहे हैं, समस्या पर बात करना स्त्रीत्व की तौहीन है अब समाधान तलाशना ज्यादा जरूरी है.. कड़ी सजा, दंड, अपराध, गुनाह, दोषी सारे शब्द जहर बन चुके हैं अब... देश की सड़कों की सफाई से ज्यादा अब बारी दिमाग की गंदी कुचैली गलियों को धोने और और स्वच्छ करने की हैं