कवि मैं और कल्पना तुम, स्वप्न स्नेह मेरा।
स्वार्थ में के इस जगत् में, सत्य स्नेह तेरा।।
तुम्हारा अखंड अद्वितीय, प्रेम असाधारण।
तुम मेरे प्राण प्रिये, मैं अवलंबन उदाहरण।।
आभार तुम्हारा तुम्हें अर्पण, नत नत वंदन।
हे स्नेह सरिता, कोटि कोटि अभिनंदन।।
-हिन्दी जुड़वाँ-