विषय - दहलीज
दिनांक -16/07/23
प्रेम किया था तुमसे,
पर सीमा को नहीं लांघा था।
हम दोनों ने अपने रिश्ते को,
दिल से दिल तक बांधा था।।
एक दूसरे की असीम चाहत को,
दोनों ने ही महसूस किया था।
आएं न कोई इस रिश्ते पर आंच,
इस लिए खुद को मौन रखा था।।
हम दोनों का निश्चल प्रेम,
किसी रिश्ते का मोहताज नहीं।
हृदय में जिसे एक बार बैठा लिया,
उस पर किसी और का अधिकार नहीं।।
अपने इस रिश्ते को हम दोनों,
पवित्र मन से निभायेंगे।
तन की भूख को दरकिनार कर,
दहलीज के पार नहीं जायेंगे।।
अपना ये आत्मिक प्रेम तो,
सारे रिश्तों पर भारी है।
इस जन्म में नहीं मिले तो,
अगले जन्म मिलन की तैयारी है।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री