मैं और मेरे अह्सास
सुनो प्यार में तो चलता रहता है रूठना
यूँ आसान नहीं माने हुए रूठे को मनाना
छोटी बातों को दिल से लगाने वाले को
जानबूझ मुँह फुलाने वालो को है पटाना
थान लिया है और करके रहेगे मनमानी
कैसे भी करके आज दूरियों को मिटाना
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह