अब के बारिश वो पहले सा
शोर नही करती,
मेरी उदास रातों मे,
वो बादल बरसता तो है,
शायद मेरे गम मे रोया सा लगे,
ये बूदों की छुअन,
सिहरन तो करती है,
पर अब इनमे दर्द भरी खामोशी है,
काश ऐसा हो की अबके सावन
तुम आओ और ये बारिश
मदहोश हो जाये,
ये लम्हा सबसे हसीन हो जाये,
Panchhi