मैं और मेरे अहसास
स्पर्श का जादू अनोखा होता है
चैन के साथ सुधबुध खोता है
पल दो पल की मनचाही छुअन
प्यारी भावनाओं को संजोता है
मदहोशी में हाथों में हाथ पकड़
प्यार करने वालो को पिरोता है
मुहब्बत में बातचीत किए बगैर
खामोशी से दिलों को भिगोता है
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह