नसीहत...........................................
एकांत राह में एक फकीर मिला,
खाली हाथ लेकिन आनंद में दिखा,
मैं खामोशी से उसकी तरफ देखती रही,
वो देखता तो भी नज़र फेर लेता......................................
फिर फकीर ने खुद ही हमसे हमारा हाल पूछ लिया,
हमने भी हल्की मुस्कुराहट चेहरे पर सजाई,
और अपना जवाब दे दिया,
वो जाने को हुआ तो मेरी उत्सुकता ने उन्हें रोक लिया,
कोई नसीहत तो कर दो बाबा मैंने सहमें शब्दों में कह दिया............................................
वो बोले सुकून चाहिए तो उसके करीब जा,
ना सवाल कर, ना शक का कोई मंज़र दिखा,
मांगी चीज़ ना मिले तो ग़म ना कर,
बस भरोसा रख उस पर उसे कम ना कर,
एक दिन वो खुद के हिसाब से तुझे बेहतर देगा,
शायद तुझे अपना बना मालामाल कर देगा...............................................
स्वरचित
राशी शर्मा