कब तक तरसते रहेंगे तुझे पाने की इंतजार में।
कब तक रोज मरते रहेंगे तेरे इस प्यार में।
कब तक तू मुझसे दूर भागेगी मैं सदा रहूंगा तेरे इंतजार में।
तेरी वह हसीन मुस्कुराहट आज भी दिल छू जाती है।
आज भी खो जाता हूं मैं तेरे उस प्यार में।
कब तक तरसते रहेंगे तुझे पाने की इंतजार में।
कब तक रोज- रोज मरते रहेंगे तेरे इस प्यार में।
देख दुनिया कितना आगे जा रही।
लेकिन मैं आज भी बैठा हूं तेरे इंतजार में।
और अब थक रहा हूं तेरे इस इंतजार से।
अब दे कोई जख्म ऐसा।
कि मेरी सांस टूट जाए।
और तेरी जान छूट जाए।
लेखक -:देवेंद्र द्विवेदी