याद
न जाने क्यों आज उनका
बार बार आ रहा है खयाल
बरसों से जिसे हमनें
दिया था जिंदगी से निकाल
रह रह के यादें उनकी
दिल पे दे रही है दस्तक
उमड़ रहे क्यों है अरमान
दफ्न थे सीने में जो आजतक
भूल चूका था शायद मै
मेरा बीता हूआ कल
वफा के नाम पर किया
उसने मूझसे जो छल
ठंडी हवा का झोंका
कर गया ताजा हसीन पल
भीनी भीनी सी फिजा
और लहराता वो आंचल
एै मेरे बेचैन दिल बता
क्यों तू हो रहा बेकरार
याद ना कर उस जालीम को
जीसने कभी किया न तूझसे प्यार
खेलना औरों के दिल से
होता है हसीनों का काम
करना झूठी दिल्लगी
चाहे जो भी हो अंजाम
सह चुका हूं रंजो गम
ना फिर से तू इसे टटोल
यादों कि इस परछाईं को
दिल के दर्पन से दे नीकाल
स्वरचित
गजेंद्र गोविंदराव कूडमाते