देह (शरीर) !
जिसके हम मालिक बन जाते हैं और मनमानी करते है ,
यह अपराध है | इस शरीर के भी हम मालिक नही बल्कि इसे सहेजने के लिए हमे सौंपा गया है | स्वंय के शरीर की सुरक्षा स्वंय का कर्तव्य है | यदि आप शारीरिक रुप से अक्षम नही है तो दूसरो पर निर्भरता केवल विलासिता और स्वंय के कर्तव्य से विमुख होना ही है |