कैसी है ये लड़किया, जो झुठे प्यार के चक्कर में पढ़ जाती है। अपनत्व को भूल कर, अपनो से मुह फेर जाती है । माता पिता के संस्कारो को कैसे चंद दिनों में भूल जाती है। बाबर-खिलजी की औलादों की, मिठी-चूप्डी बातों में फस जाती है। नारी के आत्म कल्याण के नाम पर, नारी हिं कुचली जाती है। किसी अफ्ताब-साहिल के चक्कर में, श्रृद्धा-साक्षी मारी जाती है। सनातन धर्म के संस्कार, यूँ हीं षड्यंत्र से कुचला जाता है। प्यार के नाम पर, लड़कियों को फसाया जाता है। फिर कुछ दिनों बाद, धर्म परिवर्तन कराया जाता है। अगर मना करे बेटिया, तो मार दिया जाता है। फिर बेटियों को अपना सनातन धर्म याद आता है। सुधर जाओ बेटियों, नही तो यू ही कुचली जाओगी। धर्म परिवर्तन के नाम पर जिन्दा जलाई जाओगी। 35 टुकड़ों में यूँ हिं फेक दि जाओगी। कुत्ते नोच-नोच जब तुम्हारा मांस खाएंगे तब तुझे सनातन धर्म याद आएंगा, तब तुझे सनातन धर्म याद आएंगा।
-नीतू रिछारिया