मिला मुझे एक खज़ाना
ज़रा भी शोर न मचाना।

धीमें से बस उठा लूं
इसे अपना मैं बना लूं।

लेकिन हकदार तो मैं भी हूं
यहां लाया तो तुम्हें मैं ही हूं।

कैसे ये कह दिया तुमने
ये मेरा है सिर्फ मेरे समझे।

खौफनाक एक मौत मरोगे
अगर तुम कुछ ऐसा करोगे।

देख करता हूं क्या मैं
हो जाऊंगा अमीर इस जहां में।

कहता हूं मैं एक और बार
मजबूर न करो मुझे करने को प्रहार।

बंद करो तुम्हारी ये बहस
आखिर है ही कितना तुममें साहस।

अब जा चुका है सिर के ऊपर पानी
अब याद कर लो तुम अपनी नानी।

गया ये छुरा पेट में तेरे
अब हो गए ख़ज़ाने मेरे।

डब्बा ज़रा मैं खोल लूं
मन ही मन में खुद से बोलूं।

गया कहां खज़ाना सारा
आखिर ये क्या हो गया यारा।

जॉन हेम्ब्रम "श्रावत"


चित्र - पिंट्रेस्ट से साभार।

Hindi Story by जॉन हेम्ब्रम : 111878371

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