ये समझदारी भी एक बला है ज़न्दगी!!
कहे बिना कोई अल्फ़ाज़ समझ लेते है।
बैठे है मिलों दूर कर के एतबार किसी पे।
कमबख्त चुप्पी से मिलाज समझ लेते है।
के ज़िन्दगी तू मेरी महबूब होती अगर!!
आँखों से दिल के हालात समझ लेते है।
समझदारी पड़ती है महँगी बेशक यहाँ!!
इश्क़ से भी गहरे जजब्बत समझ लेते है।
किसी का धोखा किसी की जात समझ लेते है।
समझदारी में ज़िन्दगी आहिस्ते-आहिस्ते से ही।।
तन्हाई की कही वो सारी बात समझ लेते है।
रूह की बेचैनी लफ़्ज़ों के घात समझ लेते है।
समझदारी की बीमारी है हमे ऐ ज़िंदगी!!
तेरी अठखेलियों के राज समझ लेते है।
अँधेरे में रौशनी की तलाश नही करते।।
अँधेरे में घूम अपने अहसास समझ लेते है।।
~ उर्वशी घोष "उर्वी"
-anokha aunsuna